महात्माओं का चरित्र भिन्न होता है,
वे धन-दौलत को तिनके के समान समझते हैं
किन्तु इसके प्राप्त हो जाने पर
बोझ से झुक जाते हैं
- चाणक्य
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स्वर्णिम गुजरात वर्ष के सुनहरे अवसर पर
प्रदेश - देश - विदेश के समस्त गुजराती भाई-बहिनों को
हास्य कवि अलबेला खत्री की अनुपम भेन्ट